‘मैं कहता हूँ कि हिंदुत्व एक बड़ा धोखा है, हम मूर्खों की तरह हिंदुत्व के साथ अब नहीं रह सकते। यह पहले ही हमारा काफ़ी नुक़सान कर चुका है। इसने हमारी मेधा को नष्ट कर दिया है। इसने हमारे मर्म को खा लिया है। इसने हमारी संभावनाओं को गड़बड़ा दिया है। इसने हमें हज़ारों वर्गों में बाँट दिया है। क्या धर्म की आवश्यकता ऊँच-नीच पैदा करने के लिए होती है? हमें ऐसा धर्म नहीं चाहिए जो हमारे बीच शत्रुता, बुराई और घृणा पैदा करे।’   -पेरियार