हमारे मौजूदा सत्ताधीश और उनके दर्जनों राजनीतिक-सामाजिक संगठन देश के सेक्युलर-लोकतंत्र की जगह 'हिन्दू-राष्ट्रवादी निरंकुश तंत्र' स्थापित करने की जैसी तेजी दिखा रहे हैं और जिस तरह के क़दम उठा रहे हैं, वैसा बीते सात दशकों में पहले कभी नहीं हुआ! इन्हें लग रहा है, 'अभी नहीं तो कभी नहीं'! ऐसा लगता है कि ये 2024 तक भारत की संवैधानिक संरचना और शासकीय प्रणाली में अपने इच्छित बदलाव की प्रक्रिया पूरी कर लेना चाहते हैं!