सीट बँटवारे पर इंडिया गठबंधन को एक और झटका लगता दिख रहा है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी के बीच सीट-बंटवारे समझौते की संभावना और कम हो गई है। टीएमसी ने संकेत दिया है कि वह कांग्रेस की पांच सदस्यीय राष्ट्रीय गठबंधन समिति से मुलाकात नहीं करेगी। यह समिति ही सीट बँटवारे के लिए इंडिया गठबंधन की सहयोगी पार्टियों के साथ बातचीत कर रही है। इंडिया गठबंधन ने तय किया है कि राज्यों में सीट समायोजन पर काम कर एक ही उम्मीदवार उतारा जाएगा। लेकिन लगता है कि गठबंधन में इस मामले में मुश्किलें कम नहीं होती हुई दिख रही हैं।
टीएमसी लंबे समय से सीट बँटवारे को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किए हुए है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने दिसंबर महीने में ही कह दिया था कि आगामी लोकसभा चुनाव में टीएमसी भाजपा के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करेगी। उन्होंने पश्चिम बंगाल में किसी भी पार्टी के साथ सीट बंटवारे को लेकर समझौता करने से इनकार कर दिया था। ममता ने कहा था कि विपक्षी गठबंधन पूरे देश में भाजपा का मुकाबला करेगा जबकि पश्चिम बंगाल में टीएमसी इस लड़ाई का नेतृत्व करेगी। हालाँकि उनके इस रुख के बाद भी सीटों पर बातचीत होने की ख़बरें आती रहीं।
इस बीच कांग्रेस नेता का भी टीएमसी के ख़िलाफ़ कड़ा बयान आया था। पिछले हफ्ते ही कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कह दिया था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'सेवा करने में व्यस्त' हैं। चौधरी ने यह भी कहा था कि ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं चाहती थीं और कांग्रेस आम चुनाव में अपने दम पर चुनाव लड़ सकती है।
कांग्रेस नेता ने कहा था, 'हमने भीख नहीं मांगी। ममता बनर्जी ने खुद कहा कि वह गठबंधन चाहती हैं। हमें ममता बनर्जी की दया की ज़रूरत नहीं है। हम अपने दम पर चुनाव लड़ सकते हैं। ममता बनर्जी वास्तव में गठबंधन नहीं चाहतीं क्योंकि वह पीएम मोदी की सेवा में व्यस्त हैं।'
द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि टीएमसी ने कांग्रेस को मालदा दक्षिण और बहरामपुर की पेशकश की थी। फिलहाल दोनों सीटें कांग्रेस के पास हैं। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने पहले ही इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और कहा है कि पार्टी ने 2019 में टीएमसी और भाजपा के खिलाफ लड़ते हुए अपने दम पर ये सीटें जीती थीं और कांग्रेस को उन्हें जीतने के लिए ममता से किसी उदारता की आवश्यकता नहीं है।
टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'हमने उन्हें दो सीटों की पेशकश की है। बंगाल की 42 सीटों में से केवल दो पर कांग्रेस को 30% से अधिक वोट मिले। वे अधिक सीटों का दावा कैसे कर सकते हैं? अगर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सीधे तौर पर ममता बनर्जी से बात करे तो शायद वह एक सीट और दे देंगी। इसलिए कांग्रेस गठबंधन समिति से मिलने का कोई मतलब नहीं है। हमारा प्रस्ताव बहुत साफ़ है।'
कांग्रेस रायगंज, मालदा उत्तर, जंगीपुर और मुर्शिदाबाद सहित कई और सीटों पर दावा कर रही है। लेकिन टीएमसी के बातचीत की मेज पर आने से इनकार करने के बाद दोनों पार्टियों के बीच समझौते की संभावना कम दिख रही है।
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस गठबंधन समिति ने बैठक के लिए टीएमसी से संपर्क किया था लेकिन टीएमसी ने बताया कि वह बातचीत के लिए कोई प्रतिनिधि भेजने की इच्छुक नहीं है। वाम दल पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वह टीएमसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। टीएमसी अपने प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस पैनल से मिलने को तैयार नहीं है, यह संकेत देता है कि पार्टी कांग्रेस को अधिक सीटें देने के मूड में नहीं है। टीएमसी पश्चिम बंगाल के बाहर की सीटों पर भी चुनाव लड़ने की इच्छुक है। पार्टी मेघालय में एक और असम में कम से कम दो सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहती है।
टीएमसी के अलावा भी कई राज्यों में अन्य दलों के साथ अभी भी बातचीत का दौर चल ही रहा है। कांग्रेस पैनल की आप और सपा के नेताओं के साथ दूसरी बैठक होने की संभावना है और जेडीयू के साथ भी बैठक होगी। कांग्रेस और आप के बीच पहली बैठक में आम आदमी पार्टी ने पंजाब और दिल्ली के अलावा गुजरात, गोवा और हरियाणा में सीटों की मांग रखी। महाराष्ट्र में भी शिवसेना और एनसीपी के साथ बातचीत चल ही रही है।
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