राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को नामांकन दाखिल कर दिया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, प्रहलाद जोशी, नितिन गडकरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह सहित एनडीए में शामिल दलों के कई नेता भी मौजूद रहे। इस तरह एनडीए ने भी इस मौके पर एकजुटता दिखाई।
मुर्मू ने चार सेटों में अपना नामांकन दाखिल किया। पहले सेट के प्रस्तावक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका अनुमोदन किया। नामांकन दाखिल करने से पहले द्रौपदी मुर्मू ने बीजेपी सांसदों सहित एनडीए के नेताओं से मुलाकात भी की। कुछ विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा 27 जून को पर्चा दाखिल करेंगे।
मुर्मू को मिल रहा समर्थन
बीते कुछ दिनों में द्रौपदी मुर्मू के लिए लगातार समर्थन बढ़ा है। एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू के अलावा विपक्षी दल बीजू जनता दल भी उनके समर्थन में आगे आया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने भी राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का एलान किया है।
नेशनल पीपल्स पार्टी के अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया है। ऐसे में यह साफ लग रहा है कि द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी यशवंत सिन्हा पर भारी पड़ रही है।
राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा जबकि नतीजे 21 जुलाई को आएंगे। नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून है।
जेएमएम भी करेगा समर्थन
यह भी खबर है कि झारखंड में कांग्रेस-आरजेडी के साथ मिलकर सरकार चला रहा जेएमएम भी द्रौपदी मुर्मू के नाम का समर्थन कर सकता है। जेएमएम उन 17 विपक्षी दलों में शामिल है जिन्होंने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाए जाने की हामी भरी थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाए जाने के फैसले के साथ खड़ा हुआ है।
सियासी फायदे की उम्मीद
बीजेपी को ऐसी उम्मीद है कि राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाने से उसे देशभर में 8.6 फीसदी आबादी वाले आदिवासी समाज का समर्थन चुनावों में मिलेगा। विशेषकर ओडिशा में उसे इससे बड़ा सियासी फायदा मिलेगा क्योंकि द्रौपदी द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से ही आती हैं।
अगर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति के चुनाव में जीत हासिल करती हैं तो वह पहली आदिवासी महिला होंगी जो इस पद पर चुनी जाएंगी। इससे पहले वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रह चुकी हैं।
कौन हैं द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर के रमा देवी महिला कॉलेज से बी.ए. किया है। द्रौपदी मुर्मू ने 1979 से 1983 तक ओडिशा सरकार के सिंचाई और ऊर्जा महकमे में जूनियर असिस्टेंट के रूप में काम किया। 1994 से 1997 तक रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बतौर शिक्षक भी उन्होंने काम किया है।
द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1997 में रायरंगपुर में काउंसलर का चुनाव जीतकर की और वह वाइस चेयरपर्सन भी बनीं। वह 1997 में बीजेपी की एसटी मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष बनीं।
साल 2000 से 2004 तक वह रायरंगपुर सीट से विधायक रहीं और उस दौरान बीजेडी-बीजेपी की सरकार में परिवहन और वाणिज्य मामलों सहित कई मंत्रालयों की स्वतंत्र प्रभार की मंत्री भी रहीं।
साल 2002 से 2009 तक द्रौपदी मुर्मू बीजेपी के एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रहीं। 2004 से 2009 तक भी वह रायरंगपुर सीट से विधायक रहीं। 2006 से 2009 तक वह ओडिशा बीजेपी एसटी मोर्चा की अध्यक्ष रहीं।
2010 में वह ओडिशा के मयूरभंज पश्चिम जिले में बीजेपी की अध्यक्ष बनीं और 2013 में इस पद पर फिर से चुनी गईं और अप्रैल 2015 तक रहीं। साल 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया।
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