'कांग्रेस प्लान' पर अभी फ़ैसला हुआ भी नहीं है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर तेलंगाना में केसीआर यानी के चंद्रशेखर राव के घर पहुँच गए हैं। वह केसीआर के साथ लगातार दो दिन से बैठक कर रहे हैं। केसीआर तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं और राज्य में कांग्रेस प्रमुख विपक्षी पार्टी है। हाल ही में केसीआर ने घोषणा की थी कि अगले विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर उनकी पार्टी टीआरएस का सहयोग करेंगे। तो सवाल है कि वह कांग्रेस की चुनावी रणनीति बनाएँगे या फिर टीआरएस की?
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच रविवार को लगातार दूसरे दिन भी चर्चा जारी रही। शनिवार को हैदराबाद पहुंचे प्रशांत किशोर ने दिन भर की चर्चा के बाद मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास प्रगति भवन में रात्रि विश्राम किया।
समझा जाता है कि प्रशांत किशोर ने तेलंगाना के 89 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी टीम द्वारा किए गए सर्वेक्षण के नतीजे केसीआर के साथ साझा किए थे। उन्होंने 30 निर्वाचन क्षेत्रों में किए गए सर्वेक्षण पर टीआरएस अध्यक्ष को पहले ही रिपोर्ट दे दी थी। प्रशांत किशोर यानी पीके के साथ केसीआर की चर्चा इसलिए काफ़ी अहम है कि कांग्रेस नेतृत्व के साथ हाल की उनकी बैठकों की श्रृंखला रही है और कथित तौर पर पार्टी में उनके शामिल होने की योजना है।
पीके के हालिया क़दमों से सवाल उठता है कि क्या वह टीआरएस के साथ काम करना जारी रखेंगे? कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि माना जाता है कि चुनावी रणनीतिकार ने केसीआर को आश्वासन दिया था कि वह प्रतिबद्धता का सम्मान करेंगे। तो क्या इसी के तहत यह तेलंगाना में बैठकों का दौर चल रहा है?
तो कांग्रेस की उनकी योजना का क्या होगा? कांग्रेस के साथ उनकी बात बनेगी या नहीं? या फिर इसका जवाब कुछ ऐसा होगा कि टीआरएस का काम उनका संगठन IPAC संभाल रहा है और प्रशांत किशोर उससे दूर रहेंगे?
एक सवाल यह भी कि क्या कांग्रेस और टीआरएस में वह गठबंधन करा देंगे और इस तरह वह दोनों के लिए काम करेंगे?
यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि कांग्रेस में प्रशांत किशोर के शामिल होने के जो कयास लगाए जा रहे हैं उसके तहत ख़बर यह भी है कि उन्होंने अपनी योजना में कांग्रेस को सुझाव दिया है कि कांग्रेस अन्य राज्यों में दूसरे दलों के साथ तेलंगाना में टीआरएस के साथ गठबंधन करे। हालाँकि, माना जा रहा है कि इस फ़ैसले पर न तो तेलंगाना में कांग्रेस और न ही टीआरएस के नेता सहमत होंगे। जहाँ टीआरएस अगले विधानसभा चुनाव के लिए जबर्दस्त तरीक़े से चुनाव तैयारियों में लगी हुई है वहीं कांग्रेस की ओर से भी तेलंगाना में जल्द ही राहुल गांधी की रैली आयोजित की जाएगी।
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लेकिन एक तथ्य यह भी है कि केसीआर बीजेपी के ख़िलाफ़ संयुक्त मोर्चे के पक्ष में रहे हैं। उन्होंने 'बीजेपी को बंगाल की खाड़ी में फेंकने' जैसे कड़ा बयान दिया था। इसके अलावा उन्होंने द्रमुक प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार जैसे प्रमुख विपक्षी नेताओं से भी मुलाक़ात की थी। तो क्या बीजेपी के विरोध में संयुक्त मोर्चा वह रास्ता है जिसने प्रशांत किशोर को एक मौक़ा दिया है?
बता दें कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत कर ली है। पिछले एक हफ़्ते में इन घटनाक्रमों से माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर की कांग्रेस में 'नौकरी' तय है। लेकिन इस पर आख़िरी फ़ैसला अभी होना बाक़ी है। कांग्रेस की कमेटी प्रशांत किशोर की कांग्रेस की योजना पर अपनी राय देगी और और फिर आख़िरी फ़ैसला सोनिया गांधी लेंगी। प्रशांत किशोर और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की यह बैठक आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले किशोर के पार्टी में शामिल होने के कयासों के बीच हुई है।
माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर को कांग्रेस का कायाकल्प करने के लिए लाया जा रहा है। हालाँकि शुरुआत में अधिकांश कांग्रेस नेताओं ने प्रशांत किशोर के प्रस्तावों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह गुजरात के लिए केवल एक बार का प्रस्ताव था। बाद में प्रशांत किशोर के संगठन IPAC ने कहा कि इसमें कांग्रेस का कायाकल्प और 2024 के आम चुनावों की रणनीति भी शामिल है।
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