महाराष्ट्र के येओला में छगन भुजबल के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं। महायुति के 11 प्रमुख नेताओं को फडणवीस की नई सरकार में जगह नहीं मिली है, जिससे उनके समर्थकों में काफी बेचैनी है। उन्हीं नेताओं के समर्थक खुलेआम बयान दे रहे हैं। छगन भुजबल ने खुले तौर पर कहा है कि वह अब विधानसभा सत्र में भाग नहीं लेंगे और नासिक लौट आएंगे। उन्होंने कहा कि मुझे निराशा हुई है। मुझे राज्यसभा सीट की पेशकश की गई लेकिन अब इसे स्वीकार करना येओला के मतदाताओं के लिए "उचित नहीं" होगा।
ऐसा नहीं है कि भाजपा से असंतोष जताने के बयान नहीं आ रहे हैं। मंत्री नहीं बनाये गए दूसरे बड़े नेता, सुधीर मुनगंटीवार ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के इस दावे का खंडन किया है कि उन्हें "लंबी चर्चा" के बाद हटाया गया। फडवीस ने कहा था, "हमने कैबिनेट विस्तार पर सुधीर मुनगंटीवार के साथ लंबी चर्चा की। अगर उन्हें मंत्री पद नहीं मिलता है, तो संभावना है कि पार्टी उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी।"
मुनगंटीवार ने फडणवीस के दावे का खंडन करते हुए कहा कि मंत्री पद के बारे में मुख्यमंत्री ने उनसे लंबी चर्चा नहीं की। उन्होंने केवल विस्तार के दिन ही बात की। उन्होंने कहा, फडणवीस और राज्य भाजपा प्रमुख चन्द्रशेखर बावनकुले ने कहा था कि उनका नाम कैबिनेट विस्तार से एक दिन पहले मंत्रियों की सूची में था, लेकिन नतीजा कुछ और निकला।
एकनाथ शिंदे की शिवसेना में भी भारी विरोध हो रहा है। उसके एक विधायक नरेंद्र भोंडेकर पहले ही पार्टी पद छोड़ चुके हैं। पुरंदर से विधायक विजय शिवतारे ने कहा कि वह 'मंत्री पद से नहीं, बल्कि अपने साथ हुए बर्ताव से दुखी हैं।' उन्होंने शामिल किए गए मंत्रियों के लिए ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले का जिक्र करते हुए संवाददाताओं से कहा, ''तीनों नेताओं ने ठीक से संवाद नहीं किया। अगर मुझे 2.5 साल बाद भी मंत्री पद दिया जाता है तो भी मैं मंत्री पद नहीं लूंगा।''
नई सरकार पहले ही नए मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा का वादा कर चुकी है। यह घोषणा करने वाले फडणवीस ने कहा कि एकनाथ शिंदे मंत्रिमंडल वाले जिन लोगों को इस बार शामिल नहीं किया गया, उन्हें उनके प्रदर्शन के कारण हटा दिया गया है। उधर, सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए केसरकर ने कहा, ''कुछ लोग हैं जिन्हें मौका नहीं मिला है, जो परेशान हैं। मैं उनसे कहना चाहूंगा कि वे दुखी न हों। पार्टी के लिए काम करें और किसी भी सरकार में विधायकों की भी जिम्मेदारी होती है, उन्हें उस जिम्मेदारी को बखूबी निभाना चाहिए। उन्हें थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। ढाई साल बाद उनमें से कई लोगों को मौका मिलेगा।
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