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महाराष्ट्र में शनिवार को महायुति की भारी जीत की ओर अग्रसर होने के बीच, भाजपा प्रवक्ता प्रवीण दरेकर ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस के राज्य के अगले मुख्यमंत्री होने की संभावना है। दरेकर ने कहा- “इस परिणाम ने हमें आश्चर्यचकित कर दिया है। हमें पता था कि हम जीतेंगे लेकिन इतने जबरदस्त नतीजे की उम्मीद नहीं थी। मुझे लगता है कि देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की संभावना है।” केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव अभियान के दौरान ही संकेत दे दिया था कि फडणवीस अगले मुख्यमंत्री होंगे।
शिवसेना प्रवक्ता शीतल म्हातरे ने कहा कि महायुति नेता तय करेंगे कि मुख्यमंत्री कौन होगा। उन्होंने कहा, ''हमारा मानना है कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए।'' मीडिया रिपोर्ट बता रही है कि भाजपा कार्यकर्ता मिठाई लेकर फडणवीस के घर पहुंचने लगे हैं। फडणवीस की मां को उन्हें आशीर्वाद देते देखा गया। खबर है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने फडणवीस से फोन पर बात की है।
भाजपा के रुख के बारे में पूछे जाने पर एकनाथ शिंदे ने जवाब दिया, "अंतिम परिणाम आने दीजिए... उसी तरह जैसे हमने एक साथ चुनाव लड़ा था, तीनों पार्टियां एक साथ बैठेंगी और एक फैसला लेंगी।"
इस रिपोर्ट को लिखे जाने के समय तक 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा की 219 सीटों पर महायुति आगे चल रही है। एमवीए 55 सीटों पर आगे है। महाराष्ट्र से अभी कुल एक सीट का नतीजा आया है, जहां वडाला सीट भाजपा ने जीती है।
भाजपा के एक अन्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा, ''चुनाव नतीजे आ रहे हैं। महायुति स्पष्ट रूप से आगे चल रही है। ये वोट विकास के लिए है। यदि भाजपा कार्यकर्ता ऐसा सोचते हैं, तो फडणवीस को मुख्यमंत्री होना चाहिए और इसमें कुछ भी गलत नहीं है...आखिरकार, महायुति नेता निर्णय लेंगे।''
2022 में शिवसेना में विभाजन के बाद, भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया और फडणवीस को उपमुख्यमंत्री पद पर वापस भेज दिया गया। लेकिन इस भाजपा ने अलग रणनीति अपनाकर चुनाव लड़ा। फडणवीस को नेता और भावी सीएम के रूप में पेश किया गया। उसका नतीजा भी सामने आ रहा है। भाजपा ने अपने कई नेताओं को अपने सहयोगी दलों के टिकट पर चुनाव लड़ाया। यह इस रणनीति का हिस्सा था।
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सीएम पद के लिए शिंदे के पास सौदेबाज़ी की गुंजाइश नहीं हैं। महायुति में दूसरे सहयोगी अजित पवार की एनसीपी ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है और भाजपा को सत्ता बरकरार रखने के लिए अपने दो सहयोगियों में से सिर्फ एक की जरूरत है। इसका मतलब यह है कि शिंदे को चुनाव के बाद डिप्टी सीएम या महत्वूर्ण कैबिनेट मंत्री पद को लेकर भी एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है। शीर्ष पद की मांग के लिए उनके पास बहुत अधिक ताकत नहीं है।
एकनाथ शिंदे के लिए ये नतीजे बहुत बेहतर स्थिति बनाने का संदेश लेकर नहीं आए हैं। भाजपा अब उनके ऊपर निर्भर नहीं है। तीन साल पहले जब उन्होंने विद्रोह का नेतृत्व किया और शिवसेना को विभाजित किया, भाजपा के साथ हाथ मिलाया और मुख्यमंत्री बने।उस समय भाजपा ने उन्हें जमकर गले लगाया। लेकिन भाजपा का रुख नतीजे आने के बाद बदलता दिखाई दे रहा है।
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