सूत्रों ने यह भी कहा कि जयंत चौधरी ने मंगलवार शाम को दिल्ली में एक वरिष्ठ भाजपा नेता से मुलाकात की, जिससे अटकलें तेज हो गईं कि दोनों दल महत्वपूर्ण चुनावों से पहले हाथ मिलाने पर विचार कर सकते हैं।
अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में, जयंत चौधरी का भाजपा की ओर जाने पर इंडिया एलायंस को एक और झटका लगेगा, जो पहले से ही तृणमूल से विद्रोह की सुगबुगाहट के बीच जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार के दलबदल से जूझ रहा है। इसी तरह आम आदमी पार्टी की स्थिति भी संदिग्ध बनी हुई है।
जयंत चौधरी भी गठबंधन से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश के छपरौली में एक रैली स्थगित कर दी, जहां उनके दादा चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया जाना था। सूत्रों का कहना है कि यह अफवाह गठबंधन से दूर जाने से संबंधित है। हालांकि कहा यही गया कि प्रतिमा लगाने के लिए सही जगह नहीं मिली।
कहा जा रहा है कि अगर भाजपा और आरएलडी के बीच सहमति बनती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छपरौली की प्रस्तावित रैली में शामिल हो सकते हैं। हाल के दिनों में चौधरी की संसद से अनुपस्थिति को सत्तारूढ़ दल के साथ हाथ मिलाने की ओर उनके झुकाव का संकेत माना जा रहा है।
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