देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था संसद से जिन 146 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था उन्हें अब क्या करना चाहिए ? क्या उन्हें ऐसा मान लेना चाहिए कि वे अब सांसद नहीं रहे ? संसदीय लोकतंत्र के भविष्य को लेकर निराश हो जाना चाहिए ? क्या इस बात की कोई गारंटी है कि बजट सत्र जब भी आयोजित होगा उन्हें इसी तरह के निलंबन का अपमान फिर से नहीं झेलना पड़ेगा ? निलंबित किए गए सांसद सिर्फ़ हाड़-मांस के पुतले मात्र नहीं हैं ! वे देश की लगभग एक-चौथाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं !