चार राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों के साथ ही इंडिया गठबंधन की राजनीति गरमा उठी है। सत्य हिन्दी पर यह पहले ही बताया जा चुका है कि इंडिया गठबंधन की बैठक 6 दिसंबर को होगी। लेकिन अब बयान आना शुरू हो गए हैं कि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व बदला जाए। यह मांग जेडीयू के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी उठा दी है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार का कहना है कि इन नतीजों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, हम नतीजों की समीक्षा करेंगे।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार ने रविवार 3 दिसंबर को कहा कि चार राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे 'अपेक्षित' थे और विपक्षी दल अगली I.N.D.I.A बैठक के दौरान राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में हार का विश्लेषण करेंगे। इंडिया की बैठक 6 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर होगी।
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तीन राज्यों में कांग्रेस की हार ने इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस को "नेतृत्व" पर दावा करने के लिए प्रेरित कर दिया है।टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा कि चुनाव में खराब प्रदर्शन के लिए कांग्रेस पार्टी को दोषी ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने चुनाव नतीजों को बीजेपी की जीत नहीं बल्कि कांग्रेस की हार बताया।
हालाँकि, उन्होंने दावा किया कि विधानसभा चुनाव नतीजों का 2024 के आम चुनावों में भारत गठबंधन की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन इंडिया पर नेतृत्व का दावा करते हुए उन्होंने संदेश में कहा, "टीएमसी वह पार्टी है जो देश में बीजेपी को हराने की लड़ाई में नेतृत्व प्रदान कर सकती है।" उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव जीतने के लिए पार्टियों को ममता बनर्जी के कल्याणवाद (welfarism) को अपनाना होगा।
टीएमसी की तरह जेडीयू ने इंडिया का नेतृत्व बदलने की बात कही है। जेडीयू के महासचिव निखिल मंडल ने रविवार सुबह एक्स (ट्विटर) राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर निशाना साधा। कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए मंडल ने कहा कि भारतीय गठबंधन का नेतृत्व नीतीश कुमार को करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पांच राज्यों के चुनावों में व्यस्त रही और गठबंधन को नजरअंदाज किया, लेकिन उन्होंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और नतीजे सामने हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गठबंधन के शिल्पी हैं और कठिन परिस्थितियों में भी नैया पार लगा सकते हैं। हालांकि जेडीयू बिहार में महागठबंधन के तहत सरकार चला रहा है लेकिन इसके बावजूद उसकी तरफ से यह बयान आया है।
जेडीयू के एक अन्य नेता केसी त्यागी ने कहा कि चुनाव परिणाम कांग्रेस की हार है। उन्होंने कहा, ''कांग्रेस इंडिया गठबंधन को नजरअंदाज किया, लेकिन वह अपने दम पर जीतने में असमर्थ है।''
यह सच है कि कांग्रेस इन चुनावों के जरिए इंडिया गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत करने की उम्मीद कर रही थी। जिसमें कई क्षेत्रीय क्षत्रप प्रमुख पद के लिए दावा पेश कर रहे थे। हालाँकि, रविवार की तीनों हिंदीभाषी राज्यों में हार के बाद ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस को क्षेत्रीय सहयोगियों के जबरदस्त दबाव का सामना करना पड़ेगा।
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वैसे तीन राज्यों में कांग्रेस की हार पर पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की अलग राय है। गुलाम नबी आजाद ने एएनआई से कहा कि कांग्रेस इसलिए हारी क्योंकि उसने पहले की तरह अल्पसंख्यकों के अधिकारों की वकालत करना बंद कर दिया था। उन्होंने कहा, ''पिछले 20-25 दिनों में मैंने एक बात देखी है कि कांग्रेस, जिसे अल्पसंख्यकों का चैंपियन माना जाता था, ने अल्पसंख्यकों के बारे में बात नहीं की...अब अल्पसंख्यक कांग्रेस के एजेंडे में नहीं हैं...।''
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