कांग्रेस में एक समय पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर तूफ़ान लाने वाले पार्टी के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने अब प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ की है। उन्होंने उनकी इसलिए तारीफ़ की कि वह अपनी 'जड़ों को नहीं भूले' हैं और वह ख़ुद को अभी भी 'चायवाला' बुलाते हैं। आज़ाद जम्मू कश्मीर में गुज्जर समुदाय के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे ग़ुलाम नबी आज़ाद के विदाई समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने भी हाल ही में उनकी जमकर तारीफ की थी और वह भावुक भी हो गए थे।
आज़ाद और मोदी के बीच एक-दूसरे की तारीफ़ों की रिपोर्टें तब आ रही हैं जब हाल ही में आज़ाद कांग्रेस में विवाद को लेकर चर्चा के केंद्र में रहे थे। वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को चिट्ठी लिखने वालों में शामिल रहे थे। उनका नाम तब आया था जब कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी आलाकमान को लिखा पत्र लीक हो गया था। उसके बाद बवाल मचा। इंदिरा से लेकर राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के साथ काम कर चुके आज़ाद ने तब एक न्यूज़ एजेंसी दिए इंटरव्यू में बेलाग होकर कई बातें कही थीं।
आज़ाद ने इंटरव्यू के दौरान कहा था, ‘23 साल से पार्टी में चुनाव नहीं हुए हैं। सत्ताधारी पार्टी बहुत मज़बूत है। अगर मेरी पार्टी को 50 साल विपक्ष में बैठना है तो फिर चुनाव की कोई ज़रूरत नहीं है। मुझे अब कुछ नहीं बनना है। मैं 15 दफ़ा महासचिव रहने के साथ ही 5 प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुका हूँ।’
G-23 गुट के जो नेता जम्मू पहुँचे हैं, उनमें ग़ुलाम नबी आज़ाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, राज बब्बर, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा सहित कुछ और नेता भी शामिल रहे। हैरानी की बात यह रही कि इन सभी नेताओं ने भगवा पगड़ी पहनी हुई थी।
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मेरे नरेंद्र मोदी के साथ राजनीतिक मतभेद हैं, लेकिन प्रधानमंत्री जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं।
ग़ुलाम नबी आज़ाद
इसके साथ ही आज़ाद ने जम्मू-कश्मीर में विकास पर ज़ोर दिया। बता दें कि उस चिट्ठी विवाद के बाद गु़ुलाम नबी आज़ाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई थी और उन्हें पिछले साल अक्टूबर महीने में कांग्रेस में महासचिव पद से हटा दिया गया था। उनको हरियाणा के प्रभारी पद से भी हटा दिया गया था। उनकी जगह विवेक बंसल को प्रभारी बनाया गया। बाद में जब राज्यसभा में आज़ाद का कार्यकाल ख़त्म होने को आया तो उनको पार्टी की ओर से उम्मीदवार नहीं बनाया गया और उनको राज्यसभा से विदाई दे दी गई।
एक दिन पहले ही बाग़ी तेवर अपना रहे कपिल सिब्बल ने सम्मेलन में कहा था, 'यह सच बोलने का मौक़ा है और हम सच ही बोलेंगे। सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस हमें कमज़ोर होती दिख रही है और इसीलिए हम इकट्ठा हुए हैं और पहले भी इकट्ठा हुए थे और इकट्ठा होकर हमें इसे मज़बूत करना है।'
सिब्बल ने कहा, 'हम नहीं चाहते थे कि ग़ुलाम नबी आज़ाद साहब को संसद से आज़ादी दी जाए। आज़ाद कई मंत्रालयों को संभाल चुके हैं और बहुत अनुभवी हैं। मुझे यह नहीं समझ आया कि कांग्रेस आज़ाद के अनुभव को इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही है।'
एक और बाग़ी नेता आनंद शर्मा ने कहा, 'हम में से कोई ऊपर से नहीं आया, खिड़की-रोशनदान से नहीं आया, दरवाज़े से आए हैं, चलकर आए हैं। छात्र और युवक आंदोलन से आए हैं। ये अधिकार मैंने किसी को नहीं दिया कि मेरे जीवन में कोई बताए कि हम कांग्रेसी हैं या नहीं। ये हक़ किसी का नहीं है, हम बता सकते हैं कांग्रेस क्या है, हम बनाएंगे कांग्रेस को और इसे मज़बूत करेंगे।'
आनंद शर्मा ने कहा कि ऐसा घर मज़बूत नहीं रहता जिसमें दो भाई अगर अलग-अलग विचार रखते हों और कोई क्या मतलब निकाल लेगा, इस डर से वे अपने विचार व्यक्त न कर सकें।
ऐसे वक़्त में जब पाँच राज्यों की चुनाव तारीख़ों का एलान हो चुका है और राहुल गांधी ख़ुद दक्षिण के दौरे पर हैं, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का इस तरह जम्मू जाकर सम्मेलन करना और बयान देने का असर चुनावी तैयारियों पर पड़ सकता है।
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