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चिराग का पलटवार, बाग़ी सांसदों को पार्टी से निलंबित किया 

लोक जनशक्ति पार्टी यानी एलजेपी में बग़ावत के एक दिन बाद ही यानी मंगलवार को पार्टी के अध्यक्ष पद से चिराग पासवान को हटा दिया गया है। उनकी जगह सूरज भान सिंह को पार्टी का नया कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया है। अब पाँच दिन के अंदर पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर नये अध्यक्ष के लिए चुनाव कराया जाएगा। 

दूसरी ओर चिराग पासवान ने मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई और सभी बागी सांसदों को पार्टी से निलंबित कर दिया। 

एलजेपी के 6 में से 5 सांसदों ने बग़ावत कर दी तो चिराग पासवान पार्टी में अकेले पड़ गए। इस बीच पशुपति पारस को एलजेपी संसदीय दल का नेता चुन लिया गया। उन्होंने एलजेपी के पांचों सांसदों के साथ जाकर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से मुलाक़ात की थी।

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कहा जा रहा है कि चिराग पासवान को हटाने के पीछे जो कारण बताया गया है उसमें 'एक व्यक्ति एक पद' के सिद्धांत का हवाला दिया गया है। चिराग पासवान पहले एलजेपी के अध्यक्ष के अलावा पार्टी के संसदीय दल के नेता और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी थे। बता दें कि पशुपति पारस एक दिन पहले ही पार्टी के संसदीय दल के नेता चुन लिए गए हैं। समझा जाता है कि अगले कुछ दिनों में चुनाव में उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुना जा सकता है।

पार्टी में इस पूरे घटनाक्रम के बाद चाचा और भतीजे में तनाव है। यह तनाव किस स्तर का है यह सोमवार को भी तब पता चला था जब चिराग पासवान अपने चाचा और बाग़ियों का नेतृत्व करने वाले पार्टी नेता पशुपति पारस से मिलने उनके दिल्ली स्थित आवास पर पहुँचे थे लेकिन उन्हें काफी देर तक आवास के बाहर ही इंतज़ार करना पड़ा था। बहुत मुश्किल से चिराग को आवास में एंट्री मिली और एक घंटे बाद वह वापस लौट गए। 
इस बीच चिराग पासवान ने एक ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश कर ली पार्टी और परिवार को साथ रखने की, लेकिन वह इसमें विफल रहे। इसके साथ ही उन्होंने एक पुराना ख़त साझा किया है जो उन्होंने होली से पहले अपने चाचा को लिखा था। इस ख़त में चाचा-भतीजे के बीच तनाव झलकता है।
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बग़ावत करने वाले पांच सांसदों में से चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस, उनके बेटे प्रिंस राज और तीन अन्य सांसद- चंदन सिंह, वीणा देवी और महबूब अली शामिल हैं। इन सांसदों का दावा है कि वे ही असली लोक जनशक्ति पार्टी हैं। चिराग के पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके लिए यह एक बड़ा झटका है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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