राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी ने तैयारी शुरू कर दी है। सोमवार शाम को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित तमाम आला नेताओं की 4 घंटे तक बैठक हुई। राष्ट्रपति के चुनाव जुलाई में होने हैं और बीजेपी के साथ ही विपक्ष भी अपना उम्मीदवार तय करने को लेकर सियासी कसरत कर रहा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई को समाप्त हो रहा है।
बीजेपी की इस अहम बैठक में राष्ट्रपति चुनाव के साथ-साथ जून में होने वाले 57 राज्यसभा सीटों के चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई है।
बता दें कि बीजेपी के पास देश भर के लोकसभा व राज्यसभा सांसदों और विधायकों के 48.9% वोट हैं जबकि विपक्ष के पास 51.1% वोट हैं।
बीजेपी एनडीए के सहयोगी दलों के साथ ही विपक्षी दलों जैसे ओडिशा में सरकार चला रहे बीजू जनता दल, आंध्र प्रदेश में सरकार चला रहे वाईएसआरसीपी का भी समर्थन हासिल करने की जुगत में है। इसके लिए पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को मोर्चे पर लगाया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव नवीन पटनायक जबकि पार्टी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव जगन मोहन रेड्डी के साथ बातचीत कर रहे हैं।
नीतीश क्या करेंगे?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या एनडीए के उम्मीदवार का साथ देंगे? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि नीतीश इन दिनों बिहार में विपक्षी दल आरजेडी के साथ दोस्ती बढ़ा रहे हैं। नीतीश ने इससे पहले भी एनडीए में रहते हुए ही उसके राष्ट्रपति के उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया था। हालांकि कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नीतीश कुमार से मुलाकात कर उनसे राष्ट्रपति चुनाव के बारे में चर्चा की है।
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केसीआर सक्रिय
दूसरी ओर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर भी एक बार फिर सक्रिय हुए हैं। माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वह विपक्षी दलों का एक फ्रंट खड़ा करना चाहते हैं। हालांकि विपक्षी नेताओं से उनकी मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी चर्चा होने की बात सामने आई है।
केसीआर ने कुछ दिन पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एनसीपी के मुखिया शरद पवार, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से फोन पर बात की थी। वह जल्द ही पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से भी मुलाकात करने वाले हैं।
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देखने वाली बात यही है कि विपक्ष एकजुट होकर उम्मीदवार उतारेगा या वह बिखरा हुआ नजर आएगा। यदि वह बिखरा तो एनडीए के उम्मीदवार की जीत तय हो जाएगी।
कांग्रेस कमजोर, बीजेपी मजबूत
पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की हालत बेहद पतली रही है इसलिए राष्ट्रपति के चुनाव में वह यूपीए के किसी उम्मीदवार को मजबूती से खड़ा नहीं कर पाएगी। जबकि टीएमसी, डीएमके, शिवसेना, टीआरएस विपक्षी उम्मीदवार खड़ा करने में अहम रोल निभाएंगे।
बीजेपी को चार हालिया चुनावी राज्यों में जो सफलता मिली है, इससे उसके लिए चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनाना आसान हो जाएगा।
कैसे होता है चुनाव?
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव 776 सांसदों (543 लोकसभा और 243 राज्यसभा) और 4120 विधायकों के द्वारा किया जाता है। इन विधायकों और सांसदों के वोटों की कुल वैल्यू 10,98,903 होती है। हर सांसद के वोट की वैल्यू 708 है जबकि विधायकों के वोटों की वैल्यू हर राज्य में अलग-अलग होती है।
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में हर विधायक के वोट की वैल्यू 208 है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 273 सीटों पर जीत हासिल की है और कई राज्यों में बीजेपी की सरकार है इसलिए एनडीए के पास इस मामले में बढ़त है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के वोटों की कुल वैल्यू 83,824, पंजाब की 13,572, उत्तराखंड की 4480, गोवा की 800 और मणिपुर की 1080 है।
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