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किस पार्टी को कौन से लोकसभा/विधानसभा क्षेत्र आवंटित किया जाएगा, इसका विवरण भाजपा की एक टीम के आंध्र प्रदेश के दौरे के बाद तैयार किया जाएगा। समझा जाता है कि यह सब अंदरुनी सर्वे और खुफिया रिपोर्ट के बाद तय किया जाएगा। इसलिए घोषणा होने में देर भी हो सकती है।
टीडीपी 2018 तक एनडीए का हिस्सा थी। चंद्रबाबू उस समय आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। लेकिन आंध्र प्रदेश के लिए वित्तीय सहायता के मुद्दे पर एनडीए से बाहर चले गए थे। 2019 में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के हाथों अपमानजनक हार के बाद इस बार उनकी पार्टी के लिए भाजपा के साथ गठबंधन महत्वपूर्ण है।
भाजपा के नजरिए से यह डील बेहतर है। यह गठबंधन भाजपा के लिए एक बदलाव का भी प्रतीक है। वाईएसआरसीपी ने कई मौकों पर उसे समर्थन दिया है, खासकर राज्यसभा में बिल पारित कराने में। हालाँकि, इससे बाजपा को दक्षिणी राज्यों में पैर जमाने में मदद भी मिलेगी, जहाँ इसे फिलहाल कमज़ोर माना जा रहा है।
2019 में दक्षिण की 130 लोकसभा सीटों में से भाजपा को सिर्फ 29 सीटें मिली थीं। उसमें भी उसे कर्नाटक से मदद मिली थी। पार्टी को अच्छी तरह से पता है कि उसे अपने दम पर 370 सीटें और एनडीए के लिए 400 सीटें जीतने के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उस स्कोर को काफी बेहतर करना होगा। अभी की स्थिति यह है कि वो दक्षिण भारत में कहीं नहीं है।
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