केरल के सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर न्यायालय में चल रही बहस के बीच सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी व्यक्ति का मंदिर में प्रवेश पूरी तरह अप्रतिबंधित अधिकार नहीं है यानी ऐसा अधिकार नहीं है, जिस पर प्रतिबंध या रोक न लगाई जा सके। अधिकार व परंपरा को लेकर चली बहस में सरकार का यह तर्क देश को कई दशक पीछे ले जाने वाला है, जब हिंदू धर्म के मुट्ठी भर परंपरावादियों ने महिलाओं, दलितों के अधिकार छीन लिए थे तब देश के स्वतंत्रता सेनानियों को इन अधिकारों के लिए भी समानांतर लड़ाई लड़नी पड़ी थी।
हिंदुओं को बाँटने वाले हैं सबरीमला पर मोदी सरकार के तर्क
- विचार
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- 19 Feb, 2020

केरल के सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर न्यायालय में चल रही बहस के बीच सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी व्यक्ति का मंदिर में प्रवेश पूरी तरह अप्रतिबंधित नहीं है। यह तर्क क्या सही है?
महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिलाने की इस लड़ाई में 1933 में सेंट्रल असेंबली में चुने हुए सदस्य रंगा अय्यर द्वारा पेश किए गए विधेयक के बारे में चर्चा ज़रूरी है। अय्यर ने दो विधेयक पेश किए थे। पहला दलितों के ख़िलाफ़ भेदभाव को प्रतिबंधित करने को लेकर था। दूसरा विधेयक परंपरावादी अल्पसंख्यकों द्वारा दलितों को मंदिर में घुसने न देने पर रोक लगाने को लेकर था। केरल में लंबे समय से गुरुवायूर मंदिर में अछूतों के प्रवेश को लेकर चल रहे आंदोलन और उसके परिणाम न निकलने के कारण दूसरा विधेयक पेश किया गया था।