केरल के सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर न्यायालय में चल रही बहस के बीच सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी व्यक्ति का मंदिर में प्रवेश पूरी तरह अप्रतिबंधित अधिकार नहीं है यानी ऐसा अधिकार नहीं है, जिस पर प्रतिबंध या रोक न लगाई जा सके। अधिकार व परंपरा को लेकर चली बहस में सरकार का यह तर्क देश को कई दशक पीछे ले जाने वाला है, जब हिंदू धर्म के मुट्ठी भर परंपरावादियों ने महिलाओं, दलितों के अधिकार छीन लिए थे तब देश के स्वतंत्रता सेनानियों को इन अधिकारों के लिए भी समानांतर लड़ाई लड़नी पड़ी थी।