राजस्थान के नागौर ज़िले में दलितों की पिटाई का जो वीडियो सामने आया है, उसे देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि भारत की क़रीब 20 प्रतिशत आबादी भी 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुई थी। 2014 में भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से दलितों की बची-खुची स्वतंत्रता भी जाती रही है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 17 में अस्पृश्यता के अंत की घोषणा के साथ की गई थी।
दलितों की पिटाई और दूसरे उत्पीड़न क्यों, क्या वे आज भी आज़ाद नहीं?
- विचार
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- 22 Feb, 2020

राजस्थान के नागौर ज़िले में दलितों की पिटाई का जो वीडियो सामने आया है, उसे देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि भारत की क़रीब 20 प्रतिशत आबादी भी 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुई थी।
नागौर की घटना इकलौती नहीं है। बीजेपी के सत्तासीन होने के बाद से दलितों पर हमले बहुत तेज़ हुए हैं। जिन मामलों में वीडियो बन सके हैं या वीडियो सार्वजनिक हुए हैं, कोई भी सामान्य इंसान यह कल्पना कर सकता है कि वास्तव में दलितों के साथ होने वाले उत्पीड़नों के मामले कितना ज़्यादा होंगे। गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के जितने भी राज्य हैं, वहाँ से इस तरह के वीडियो आते रहते हैं। इस तरह के वीभत्स वीडियो स्वाभाविक है कि पिटाई कर रहे लोगों के परिचित ही बनाते हैं। पीड़ित पक्ष का कोई व्यक्ति तो वीडियो बनाने का साहस नहीं कर सकता है।