पंजाब की विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक ऐसा क़ानून बना दिया है, जिसका उद्देश्य है कि किसानों को उनकी फ़सल के उचित दाम मिलें। इस क़ानून का समर्थन बीजेपी के दो विधायकों के अलावा सभी पार्टियों के विधायकों ने किया है। इस क़ानून के लागू होने पर कोई भी गेहूँ और धान की फ़सलों को सरकारी मूल्यों से कम पर न बेच सकेगा और न ही ख़रीद सकेगा। जो भी इस क़ानून का उल्लंघन करेगा, उसको तीन साल की जेल हो जाएगी। मोटे तौर पर ऐसा लगता है कि इस क़ानून से किसानों को बड़ी सुरक्षा मिलेगी। लेकिन इस चिकनी सड़क पर कई गड्ढे भी दिखाई पड़ रहे हैं।
कृषि-क़ानूनः ‘दाम बांधो’ नीति क्यों नहीं अपनाते नेता?
- विचार
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- 22 Oct, 2020

बेहतर तो यह होगा कि कृषि-क़ानून को हमारे नेता राजनीतिक फुटबाल न बनाएँ। वास्तव में सर्वदलीय बैठक में इस विषय पर खुला-विचार विमर्श होना चाहिए कि किसानों को तो उनकी उपज का उचित मूल्य मिले ही लेकिन उपभोक्ताओं को भी अपनी खरीदारी पर लुटना न पड़े। हमारे नेतागण यदि इस अवसर पर डाॅ. राममनोहर लोहिया की ‘दाम बांधो’ नीति पर कुछ पढ़ें-लिखें...