24 मार्च को जब मोदी सरकार ने एकाएक सारे देशवासियों को ताले में बंद रहने का आदेश कर दिया था, उस दिन देशभर में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज़ों की संख्या 564 थी। आज जब सरकार इस महीने से ताला खोलने की दिशा में पहला बड़ा क़दम उठा चुकी है तो उनकी संख्या 1 लाख से ऊपर हो गई है। (ध्यान दीजिए, मैं कोरोना के कुल मामलों की नहीं, मरीज़ों की मौजूदा संख्या की बात कर रहा हूँ।) 24 मार्च के आसपास रोज़ 50-60 नए मरीज़ों का पता चल रहा था, आज 8 हज़ार से ज़्यादा नए मरीज़ रोज़ मिल रहे हैं। ऐसे में आम नागरिक को समझ में नहीं आ रहा है कि 24 मार्च को सरकार को ऐसा क्या ख़तरा नज़र आया कि देश भर में तालाबंदी कर दी गई और आज जून में हालात कौन से सुधर गए कि सरकार ने ताला खोलने की दिशा में पहला क़दम बढ़ा दिया।
कोरोना: इन पाँच कारणों ने सरकार को ताला खोलने की हिम्मत दी
- विचार
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- 3 Jun, 2020

देश में कोरोना वायरस का संक्रमण काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है। नीति आयोग और एम्स जैसे संस्थानों ने आशंका जताई है कि जून और जुलाई में संक्रमण शिखर पर होगा। पहले 24 मार्च के आसपास रोज़ 50-60 नए मरीज़ों का पता चल रहा था तो तालाबंदी की गई थी और अब जब 8 हज़ार से ज़्यादा नए मरीज़ रोज़ मिल रहे हैं तो ताला खोला जा रहा है। ऐसे हालात में आख़िर सरकार ने ऐसा करने की हिम्मत कैसे की?
पहली नज़र में कोई भी कह सकता है कि 24 मार्च को जो हालात थे, उनके मुक़ाबले आज स्थिति बहुत ज़्यादा ख़राब है और आगे और ख़राब हो सकती है। पिछली कड़ी में (पढ़ें : क्या मोदी सरकार ने कोरोना से हार मान ली है?) हमने अंदाज़ा लगाया था कि यदि मरीज़ों की संख्या इसी दर से बढ़ती रही यानी हर 15 दिन में डबल होती रही तो अगले ढाई-तीन महीनों में 1.22 करोड़ लोग कोविड-19 से संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आख़िर मोदी सरकार ने क्या सोचकर 1 जून से लोगों के आने-जाने पर लगी सारी बंदिशें हटा दीं। आप जानते ही होंगे कि नई गाइडलाइन के अनुसार अब लोग पहले की तरह जहाँ चाहें आ-जा सकते हैं। हाँ, उसने राज्य सरकारों को यह अधिकार ज़रूर दिया है कि वे चाहें तो अपने प्रदेशों में अभी भी कुछ रोक लगा सकती हैं। कई राज्य सरकारें ऐसा कर भी रही हैं। लेकिन बात केंद्र सरकार की है। तालाबंदी उसने की थी और अब ताला भी वही खोल रही है, वह भी तब जब ऊपरी तौर पर हालात पहले से बदतर लग रहे हैं। आख़िर क्यों?
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश