समकालीन भारत के राजनीतिक और बौद्धिक विमर्श में एक महानायक के रूप में डॉ. आंबेडकर का उदय हुआ है। बीसवीं सदी के एक 'अछूत' के इक्कीसवीं सदी में महानायक बनने की दास्तान आश्चर्यजनक है। दक्षिणपंथ से लेकर वामपंथ तक उनके विचारों की आवाजाही और किए गए संघर्ष काबिलेगौर हैं। आज संविधान और लोकतंत्र को महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरू के विचारों और संघर्षों से भी ज़्यादा ताक़त डॉ. आंबेडकर के विचारों से मिलती है।