कुछ दिन पहले भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन का अध्यक्ष चुना ही गया था, अब उससे भी बड़ी और अच्छी ख़बर आई है। वह यह है कि यह संगठन आयुर्वेद का एक विश्व केंद्र भारत में स्थापित करेगा। इस विश्व केंद्र में अन्य पारंपरिक चिकित्सा-पद्धतियों की शाखाएँ भी खुलेंगी। इस समय देश में 5 लाख वैद्य हैं और 10 लाख एलोपेथिक डाॅक्टर हैं। लेकिन आज भी देश के लगभग 80 प्रतिशत लोगों का इलाज वैद्य, हकीम और घरेलू चिकित्सक ही करते हैं, क्योंकि देश के ग़रीब, ग्रामीण और दूरदराज के इलाक़ों में रहनेवाले लोगों के लिए मेडिकल इलाज दुर्लभ और बहुत महंगा पड़ता है।
अब बजेगा आयुर्वेद का डंका, भारत में बनेगा विश्व केंद्र
- विचार
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- 15 Nov, 2020

यदि भारत हज़ार साल तक ग़ुलाम नहीं रहता और आज़ादी के बाद उसकी उच्च-शिक्षा मातृभाषाओं में होती तो चिकित्सा-पद्धतियों में वह शायद पश्चिम को मात दे देता। यह काम हरिद्वार में आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में हो रहा है। उच्च स्तरीय यांत्रिक प्रयोगशालाओं के साथ-साथ विश्व जड़ी-बूटी कोश भी तैयार किया जा रहा है। जामनगर और जयपुर के आयुर्वेद विश्वविद्यालय भी उच्च कोटि के अनुसंधान में लगे हुए हैं।