कोरोना के बहाने आजकल सभी को अपनी पीठ थपथपाने का मौक़ा मिल गया है। यह मौक़ा सही हो भी जाता, अगर मरकज़ निजामुद्दीन में तब्लीग़ी जमात से जुड़ा यह कांड न हुआ होता। कांड तो और भी हुए हैं लेकिन इस मुश्किल वक्त में शायद उनकी ओर किसी को देखने की फुरसत नहीं है या फिर जानबूझ कर देखा ही नहीं जा रहा।