अगर कहा जाए कि उत्तर प्रदेश सरकार का ध्येय वाक्य है— ‘आस्था बचाओ, विवेक जलाओ’ तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। आहार की शुचिता कायम करने के बहाने विवेक की शुचिता को भष्म किया जा रहा है। कांवड़ यात्रा के दौरान विक्रेताओं की पहचान प्रकट करने का आदेश न सिर्फ संविधान की भावना के विरुद्ध है बल्कि महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, डॉ. भीमराव आंबेडकर और डॉ. राममनोहर लोहिया, मौलाना अबुल कलाम आजाद के विचारों और संघर्ष के विरुद्ध है जो उन्होंने अपने आचरण से स्थापित करने की कोशिश की थी।