आम बजट पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का भाषण महाभारत के रूपकों और पौराणिक आख्यानों से लदा हुआ था। उम्मीद है कि इस संवाद शैली का संदेश दूर तक जाएगा और देश की आमजनता और बौद्धिक वर्ग को भी समझ में आएगा कि संघ परिवार और कॉरपोरेट घरानों के चक्रव्यूह में किस तरह देश का आमजन फँसा हुआ है। राहुल गांधी ने 18 वीं लोकसभा के पहले सत्र से ही संवाद की जो शैली चलाई है उस पर इस देश का उदारवादी लोकतंत्र का समर्थक तबका अगर मोहित है तो वामपंथी और सेक्यूलर लोग खिन्न हैं। इंडिया समूह के भीतर यह वैचारिक विभाजन कई चर्चाओं और मंचों पर दिखाई पड़ता है। उदारवादी और सर्वधर्म समभाव समर्थक वर्ग कह रहा है कि धर्म और पौराणिक आख्यानों के माध्यम से हिंसा और नफरत फैलाने वाले संघ परिवार को इसी भाषा शैली में जवाब दिया जाना चाहिए। तभी वे समझेंगे और तभी जनता उनसे दूर जाएगी।