आज रविवार है तो सोचा 6 महीने यूपी चुनाव कवरेज के बारे में और परिणामों पर चर्चा की जाए। तो सबसे पहले तो ये कि नतीजों को लेकर ख़ास तौर पर सीटों को लेकर मेरा आकलन पूरी तरह ग़लत निकला। लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो पिछले चार-छह महीने से घर, ऑफ़िस या अपने गाँव, मोहल्ले या ज़िले से बाहर नहीं गए और सीटों पर उनका आकलन बिल्कुल सटीक रहा। मैं नवंबर के पहले तक ये मानता था कि यूपी में अखिलेश यादव लड़ाई में कहीं नहीं थे और बीजेपी 300 या आगे जितना भी जा सकती थी। लेकिन कृषि क़ानूनों के वापस लेने और चुनावों की घोषणा के बाद पिछड़े नेताओं की लामबंदी और मुसलिम वोटों का सपा की तरफ़ एकतरफ़ा झुकाव ने चुनाव को रोचक बना दिया।
जानिए, किस वजह से यूपी में चुनावी आकलन ग़लत साबित हुए
- विचार
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- 13 Mar, 2022

यूपी चुनाव के आकल ग़लत साबित क्यों हुए? क्या इसलिए कि काँटे की टक्कर थी और जीत का अंतर कम था? क्या इसमें जातिगत समीकरणों का बड़ा हाथ था?
मैंने ‘माहौल क्या है’ के क़रीब 200 एपिसोड किए। चुनाव की घोषणा के बाद लोगों की लामबंदी साफ़ दिखने लगी थी।