प्रधानमंत्री मोदी को दो बार सांसद बनाने और बीजेपी के लिए संसद में दो-दो बार सबसे ज़्यादा सांसद भेजने वाले उत्तर प्रदेश में बीजेपी का ‘अंगद का पांव’ हिलने लगा है। क्या उसे प्रदेश में पार्टी के भीतर चल रहे राजनीतिक भूकंप से अपनी ज़मीन हिलने का अहसास हो गया है? क्या इस सबको ठीक करने के लिए यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ को बदले जाने की कवायद हो सकती है? ऐसे बहुत से सवाल हैं जिससे प्रदेश और केंद्र में बैठे बीजेपी नेताओं की नींद उड़ गई है।
क्या यूपी में गंभीर सर्जरी कर पाएगी बीजेपी?
- विचार
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- 3 Jun, 2021

उप मुख्यमंत्री मौर्य ने पिछले चार साल की अपनी व्यथा नेताओं के सामने रखी कि किस तरह सरकार में उनकी उपेक्षा की गई। यूँ तो व्यथा की यह कहानी सरकार बनने के अगले दिन ही शुरू हो गई थी जब मुख्यमंत्री और सरकार के दफ्तर के पंचम तल पर मौर्य ने एक कमरे के बाहर अपने नाम की तख्ती लगवा दी थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी ने उसे हटवा दिया और पंचम तल सिर्फ़ मुख्यमंत्री के लिए रह गया।
क़रीब दस दिनों से यूपी बीजेपी में हंगामा मचा हुआ है और पिछले तीन दिनों से चल रही लगातार बैठकों में ‘समुद्र मंथन’ की कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी तक ‘सिर्फ़ विष’ ही निकला है और उसको लेकर कोई ‘नीलकंठ’ बनने को तैयार नहीं है। साल 2014 के आम चुनावों से पहले फ़रवरी 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं और वो ना केवल ‘लिटमस टेस्ट’ है बल्कि उसे ‘सेमीफाइनल’ माना जा रहा है।