यदि कूटनीति एक दूसरे तरह का युद्ध है तो युद्ध ग़ैरक़ानूनी तरीके से अरबों कमाने का ज़रिया है। जब कूटनीति नाकाम हो जाती है और देश युद्ध छेड़ देते हैं तो हथियार बेचने वाले, हथियार बनाने वाले और सरकार के साथ लॉबीइंग करने वाले तीसरे लोग अपनी काली ज़रायम दुनिया से बाहर निकलते हैं, युद्ध को नए रंग में रंगते हैं और अपनी तिजोरी भरने के लिए लोगों को मारने वाली मशीनें बेचते हैं। वे अरबों कमाते हैं और बदले में मुसीबत और मृत्यु देते हैं।
यूक्रेन युद्ध का जानवर कॉरपोरेट जगत के लोभ पर पलता है
- विचार
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- 22 Feb, 2022

(मशहूर पत्रकार प्रभु चावला का मानना है कि यूक्रेन युद्ध की आशंकाओं के पीछे हथियार बनाने-बेचने वाले, उनका व्यापार करने वाले और उनकी खरीद- बिक्री के लिए लॉबीइंग करने वाले लोग हैं। 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' में प्रकाशित लेख 'बीस्ट ऑफ़ यूक्रेन वॉर थ्राइव्स ऑन कॉरपोरेट ग्रीड' का अनुवाद पेश है।)
अब जबकि तालिबान अपनी बंदूकों और विचारों के साथ लौट आए हैं, काला बाज़ारी से खरीदे गए हथियारों से आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ी जाने वाली लड़ाई थम गई है। दुनिया का बहुत बड़ा हाइड्रा हथियारों की बिक्री में लगी लॉबी है, जिसकी पहुंच सरकारों, आतंकवादी गुटों, छापामार संगठनों, उनसे अलग हुए गुटों और पैसे के लिए लड़ने वाले गैंग तक है।