चीन ने अपना डिफेन्स बजट 7.6 प्रतिशत बढ़ा दिया है। जानकार बताते हैं कि यह प्रतिशत भी इस मद में अघोषित व्यय से काफ़ी कम है। चीन चूँकि खुली यानी पारदर्शी इकॉनमी और लिबरल प्रजातंत्र नहीं है इसलिए उसके बारे में कयास ही लगाये जा सकते हैं। चूँकि धरातल पर यह देश बहुत कुछ ऐसा करता रहा है जो विश्व को अचंभित कर देता है-- डीपसीक उसका सबसे नया उदाहरण है— लिहाज़ा उसके बारे में कुछ भी अनुमान कयास ही माना जाता है। बहरहाल, यही डर अमेरिका का भी है। अमेरिका और चीन के तुलनात्मक आँकड़े बताते हैं कि जीडीपी आयतन, सामरिक क्षमता, मैन्युफैक्चरिंग, विश्व व्यापार और हाल के दिनों में तकनीकी में बड़ी तेज़ी से चीन अमेरिका को पछाड़ने की स्थिति में है। लिहाज़ा अमेरिकी जनता को राष्ट्रपति ट्रंप का नारा ‘अमेरिका फर्स्ट’ और ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ भा रहा है।