यह 1968 का साल था। अमेरिका तरह-तरह के उथल-पुथल से गुज़र रहा था। लिंडन जॉन्सन राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश को वियतनाम युद्ध में झोंक रखा था और उनकी सरकार अपने लोगों से युद्ध का सच छुपा रही थी। ताबूतों में 18-20 बरस के अमेरिकी सैनिकों के शव घर लौट रहे थे। इसी साल मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या हुई थी और शिकागो में दंगे भड़के थे। इसी साल रॉबर्ट एफ़ कैनेडी को भी गोली मारी गई थी।
अमेरिका की एक फ़िल्म जो आज के भारत पर टिप्पणी है!
- विचार
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- 21 Apr, 2021

यह 1968 का साल था। अमेरिका तरह-तरह के उथल-पुथल से गुज़र रहा था। लिंडन जॉन्सन राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश को वियतनाम युद्ध में झोंक रखा था और उनकी सरकार अपने लोगों से युद्ध का सच छुपा रही थी। नाकाम सरकार अब अमेरिका पर ख़तरे का डर दिखा रही थी और अपने विरोधियों को जेल भेज रही थी।
कई मोर्चों पर नाकाम सरकार अब अमेरिका पर ख़तरे का डर दिखा रही थी और अपने विरोधियों को जेल भेज रही थी।
इसी दौरान अगस्त में शिकागो में डेमोक्रेटिक पार्टी का सम्मेलन हो रहा था। साथ ही वियतनाम युद्ध रोकने के लिए बनी एक राष्ट्रीय कमेटी वहाँ एक बड़ा कार्यक्रम करना चाहती थी।