देश भर के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नेशनल एंट्रेंस कम इलिजिबिलिटी टेस्ट यानी नीट) को लेकर विवाद जारी है। तमिलनाडु ने विधानसभा में एक विधेयक पारित कर राज्य में नीट को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है। इस पर राष्ट्रपति की मंजूरी की ज़रूरत होगी। सरकार के मुताबिक़ नीट परीक्षा ख़त्म करना सामाजिक न्याय के लिए ज़रूरी है, क्योंकि यह अमीरों के पक्ष में है।
ग़रीब बच्चों के डॉक्टर बनने के सपनों की हत्या कर रही नीट परीक्षा?
- विचार
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- 15 Sep, 2021

मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए होने वाली नीट को लेकर विवाद है। इस बीच तमिलनाडु सरकार ने राज्य में नीट को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है। उसने तर्क दिया है कि यह परीक्षा ग़रीबों को दरकिनार करती है।
दरअसल, तमिलनाडु के सेलम के मेटूर (कोझियार) निवासी 19 वर्ष के छात्र एम धनुष ने नीट में ख़राब प्रदर्शन के डर से आत्महत्या कर ली। उसने 2019 में 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और इस साल तीसरी बार नीट की परीक्षा देने जा रहा था। इसके बाद से ही राज्य में हंगामा मचा था। विपक्षी दल अन्नाद्रमुक नीट परीक्षा को लेकर सवाल उठा रहा था। अन्नाद्रमुक नेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीसामी ने आरोप लगाया था कि नीट परीक्षा को लेकर द्रमुक सरकार का कोई रुख नहीं है और इस परीक्षा को लेकर छात्र व अभिभावक दोनों ही भ्रमित हैं। पलानीसामी ने छात्र की आत्महत्या के लिए भी द्रमुक सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया था। इसके बाद राज्य की स्टालिन सरकार ने नीट के ख़िलाफ़ विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया।