सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत ही ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए कहा है कि अब मुस्लिम तलाक़शुदा महिलाएं भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला कई मायनों में अहम है और देश में समान नागरिक क़ानून (यूनिफार्म सिविल कोड) लागू करने की दिशा में एक बड़ा क़दम है। यह फ़ैसला 1985 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही शाहबानो मामले में मुस्लिम तलाक़शुदा महिला को गुज़ारा भत्ता दिए जाने का समर्थन करता है और इस फैसले को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा संसद में संविधान संशोधन कर मुस्लिम तलाक़शुदा महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किये जाने को ग़लत ठहराता है, इसलिए इसका स्वागत किया जाना चाहिए।