भारत की अर्थव्यवस्था का आकार तमाम विकसित देशों से बड़ा हो चुका है। वंचितों के कल्याण के लिए तमाम योजनाएँ चलाई जाती हैं। हर सरकार वंचित तबके के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों को गिनाती है। इसके बावजूद वंचित तबका वंचित ही बना हुआ है। हाल के वर्षों में कुछ पूंजीपतियों के पास पूंजी के केंद्रीयकरण, धुआंधार निजीकरण, नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के कारण अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती और कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए की गई बंदी ने अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जातियों (एससी), जनजातियों (एसटी) और गरीब तबके की कमर तोड़ दी है।