भारत की अर्थव्यवस्था का आकार तमाम विकसित देशों से बड़ा हो चुका है। वंचितों के कल्याण के लिए तमाम योजनाएँ चलाई जाती हैं। हर सरकार वंचित तबके के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों को गिनाती है। इसके बावजूद वंचित तबका वंचित ही बना हुआ है। हाल के वर्षों में कुछ पूंजीपतियों के पास पूंजी के केंद्रीयकरण, धुआंधार निजीकरण, नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के कारण अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती और कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए की गई बंदी ने अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जातियों (एससी), जनजातियों (एसटी) और गरीब तबके की कमर तोड़ दी है।
दिखावे के प्रेम से एससी-एसटी, ओबीसी और गरीबों का हक मार रही सरकार
- विचार
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- 17 Aug, 2021

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से संबोधन में दलितों, पिछड़ों और गरीब तबके के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों को गिनाने की भरपूर कवायद की। पर क्या सच में उनको इसकी फ़िक्र है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से अपने 8वें स्वतंत्रता दिवस संबोधन में दलितों, पिछड़ों और गरीब तबके के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों को गिनाने की भरपूर कवायद की। उन्होंने 100 प्रतिशत लाभार्थियों तक योजनाओं की पहुंच की बात की। मेडिकल सीटों के ऑल इंडिया कोटा में अन्य पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने की चर्चा की। साथ ही सामान्य श्रेणी के गरीबों को नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का जिक्र किया। हाल में हुए संवैधानिक संशोधन की बात की, जिसमें राज्यों को किसी भी जाति को ओबीसी श्रेणी में डालने का अधिकार दिया गया है।