अख़बारों में ख़बर है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के पूजास्थल क़ानून के ख़िलाफ़ दायर एक याचिका को स्वीकार कर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस पर ‘दैनिक जागरण’ की ख़बर इस प्रकार है, सुप्रीम कोर्ट में इस क़ानून की वैधानिकता पर विचार होना कुछ हिंदू संगठनों द्वारा श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर किए गए दावे के लंबित मुक़दमों को देखते हुए महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि 1991 का क़ानून इन पर रोक लगाता है।
पूजा स्थल क़ानून पर जनहित याचिका क्यों?
- विचार
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- 14 Mar, 2021

अख़बारों में ख़बर है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के पूजास्थल क़ानून के ख़िलाफ़ दायर एक याचिका को स्वीकार कर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। आख़िर ऐसा क्यों किया?
अख़बार ने आगे लिखा है, ‘सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है।’ इन सूचनाओं के बाद मुझे लगता है कि मामला क़ानूनी कम, राजनीतिक ज़्यादा है। ख़बर यह भी है कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संयुक्त संगठन मंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा है कि कांग्रेस सरकार में बने पूजा स्थल क़ानून को चुनौती मिलने से देश में ग़ुलामी के प्रतीकों के हटने की आस जगी है।