loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
56
एनडीए
24
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
233
एमवीए
49
अन्य
6

चुनाव में दिग्गज

कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय

जीत

बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार

जीत

भारत के लिए बड़ा धक्का है इसलामी देशों का कश्मीर सम्मेलन

इसलामाबाद में होनेवाले इस सम्मेलन में इस्लामी राष्ट्रों के विदेश मंत्री भाग नहीं लेंगे। उनकी जगह उनके सांसद आएँगे। यानी इन देशों की सरकारें भारत को कह सकेंगी कि जहाँ तक उनका सवाल है, कश्मीर के मुद्दे पर वे तटस्थ हैं।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक
भारत भी कमाल का देश है। इसकी वजह से इसलामी देशों में फूट पड़ गई है। दुनिया के 57 इसलामी देशों का अब तक एक ही संगठन है। इसलामी देशों का संगठन (ओआईसी) लेकिन अब एक दूसरा इस्लामी संगठन भी उठ खड़ा हुआ है। इसका नेतृत्व मलेशिया के राष्ट्रपति महातिर मोहम्मद और तुर्की के राष्ट्रपति रीचप तय्यब इरदोवान कर रहे हैं। इन दोनों नेताओं ने कश्मीर के पूर्ण विलय के मामले में भारत का विरोध किया था।
विचार से और खबरें
लेकिन सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने उसे भारत का आतंरिक मामला कहकर टाल दिया था। इन दोनों देशों के नेता एक-दूसरे के देशों में जाकर गदगद हुए थे और नरेंद्र मोदी को सऊदी और यूएई ने अपने सर्वोच्च सम्मान भी दिए थे।
इसकी काट करने के लिए पिछले हफ़्ते मलेशिया में एक वैकल्पिक इसलामी सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें तुर्की के अलावा ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भी शामिल हुए थे। इस वैकल्पिक इसलामी सम्मेलन के पीछे अमेरिका-विरोधी भाव भी छिपा हुआ है। 

इस सम्मेलन के नायक के तौर पर पाकिस्तान को उभरना था, लेकिन सऊदी अरब ने अड़ंगा लगा दिया। उसके इशारे पर इमरान ख़ान ने मलेशिया जाने से मना कर दिया।
अब कश्मीर के सवाल पर इसलामी देशों का संगठन एक नया सम्मेलन आयोजित कर रहा है।

पाकिस्तान और सऊदी अरब दोनों को अपनी नाक बचानी है। लेकिन अभी-अभी पता चला है कि इसलामाबाद में होनेवाले इस सम्मेलन में इस्लामी राष्ट्रों के विदेश मंत्री भाग नहीं लेंगे। उनकी जगह उनके सांसद आएँगे।
इन देशों की सरकारें भारत को कह सकेंगी कि जहाँ तक उनका सवाल है, कश्मीर के मुद्दे पर वे तटस्थ हैं। दूसरे शब्दों में, वे भारत और पाकिस्तान दोनों को खुश करने की तरकीब कर रहे हैं। जाहिर है कि भारतीय विदेश नीति के लिए यह बड़ा धक्का है।
यहाँ प्रश्न यही है कि जैसे पिछले इसलामी सम्मेलन में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ससम्मान आमंत्रित किया गया था, क्या इस बार भी भारतीय विदेश मंत्री या भारतीय सांसदों को उसमें आमंत्रित किया जाएगा ?
मुझे लगता है कि ये इसलामी राष्ट्र कश्मीर के कारण भारत के विरुद्ध उतना नहीं हैं, जितना नागरिकता क़ानून और नागरिकता रजिस्टर की वजह से हो रहे हैं। भारत सरकार को इस चुनौती का सामना अत्यंत दूरदृष्टि के साथ करना होगा।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें