केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान के साथ ‘इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस’ के अधिवेशन में जो बर्ताव किया गया, क्या वह इतिहासकारों और विद्वानों को शोभा देता है? यह ठीक है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे पद संवैधानिक होते हैं और इन पदों पर बैठे लोगों को रोजमर्रा की राजनीति में नहीं उलझना चाहिए लेकिन क्या इसका अर्थ यह है कि जिस कार्यक्रम में ऐसे उच्चपदस्थ व्यक्ति उपस्थित हों, उसमें अन्य वक्तागण अमर्यादित राजनीतिक भाषण झाड़ें और वह बैठा-बैठा सुनता रहे? कम से कम आरिफ़ ख़ान जैसे प्रखर विद्वान और तेजस्वी वक्ता से ऐसी आशा करना अनुचित है।