‘भारत की सेवा करने का अर्थ है लाखों पीड़ितों की सेवा करना। इसका अर्थ है ग़रीबी, अज्ञान, बीमारी तथा अवसरों की असमानता का उन्मूलन करना। हमारी पीढ़ी के महानतम व्यक्ति की इच्छा हर आँख से आँसू पोंछने की रही है। संभव है कि ऐसा कर पाना हमारी सामर्थ्य से बाहर हो परंतु जब तक लोगों की आँखों में आँसू और जीवन में पीड़ा रहेगी तब तक हमारा दायित्व पूरा नहीं होगा।’ -जवाहरलाल नेहरू

भारतीय संविधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दलित चिंतक बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर का जन्म आज के ही दिन यानी 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उनके बनाए संविधान पर भारत आज कितना अडिग है और उनके सपनों का भारत तैयार करने में हमें कितनी कामयाबी मिली है, डालते हैं एक नज़र।
15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को 'नियति से साक्षात्कार' में भारत ने राजनीतिक आज़ादी हासिल कर ली। लेकिन दो बुनियादी सवाल जीवित थे। सामाजिक और आर्थिक आज़ादी के सवालों को संविधान द्वारा हल किया जाना था। आज़ादी मिलने से पूर्व ही संविधान सभा की स्थापना हो चुकी थी। ब्रिटिश हुकूमत की देखरेख में औपनिवेशिक भारत के अंतिम चुनाव 1945 में संपन्न हुए। विशेष मताधिकार के ज़रिए चुनकर आए प्रांतीय सभाओं के सदस्यों को मिलाकर दिसंबर 1946 में कैबिनेट मिशन प्रस्ताव के तहत संविधान सभा का गठन किया गया। 13 दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा के समक्ष उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया। इसमें स्वतंत्र भारत के संविधान के मूल आदर्शों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।