बिहार चुनाव बीत गया। नीतीश कुमार की सरकार बन गई। लेकिन अभी भी बिहार की राजनीति दिलचस्प बनी हुई है। भ्रष्टाचार के आरोपी रहे मेवालाल को नीतीश ने मंत्री बनाया। विपक्ष के विरोध और अब बड़े भाई की भूमिका में आई बीजेपी के दबाव के चलते नीतीश को मेवालाल का इस्तीफा लेना पड़ा।

बीते चुनाव के अंक गणित में पिछड़ने के बावजूद नीतीश लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं। इसका कारण नीतीश की सामाजिक और राजनीतिक सूझबूझ है। लेकिन अब बीजेपी नीतीश के पिछड़ा और दलित जनाधार में सेंध लगाकर उन्हें पटना से बेदखल करने के मूड में है। तीनों पदों के लिए पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति के नेताओं का चयन बीजेपी की इसी रणनीति का हिस्सा है।
हिन्दुत्व के नए प्रोपेगेंडा लव जिहाज पर भी बीजेपी नीतीश कुमार को दबाव में लेने की कोशिश कर रही है। गिरिराज सिंह ने बयान दिया है कि अन्य बीजेपी शासित राज्यों की तरह बिहार में भी लव जिहाद पर कानून बनना चाहिए। जाहिर है, बीजेपी हिन्दुत्व की राजनीतिक बिसात पर नीतीश को घेरने की कोशिश कर रही है।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।