"मुलायम सिंह को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी से ही नहीं बल्कि मीडिया के पक्षपाती रवैया और बीएसपी-बीजेपी गठजोड़ से भी टक्कर लेनी पड़ी है। बाबरी मसजिद ध्वंस के बाद पिछड़ा-मुसलमान एकता से दलितों को जोड़ने के मक़सद से मुलायम ने बसपा को साथ लेने का जोखिम उठाया था। उन्होंने कई बार झुकते हुए और राजनीतिक नुक़सान के बावजूद इस गठजोड़ को कायम रखने की कोशिश की। बीजेपी ने इसका लाभ उठाया और दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से बसपा को अपने साथ मिला लिया। इससे सबक सीखकर मुलायम ने नए फ़ॉर्मूले की तलाश की और अंततः उसे हासिल कर लिया।"

समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव का आज जन्मदिन है। पढ़िए छात्र राजनीति से राजनीति की शुरुआत करने वाले मुलायम सिंह का कैसा रहा है राजनीतिक जीवन...
प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री रजनी कोठारी ने 1993 में एक किताब की भूमिका में मुलायम सिंह के बारे में यह टिप्पणी लिखी थी। लगता है कि यूपी में आज इतिहास ख़ुद को दोहराने जा रहा है। 81 बरस पूरे कर चुके मुलायम सिंह यादव शरीर से अस्वस्थ ज़रूर हैं लेकिन मानसिक रूप से वे आज भी चुस्त हैं।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।