आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आम हिन्दुओं की भावना को संभवत: पढ़ लिया है जिनका आभूषण सहिष्णुता है और जो अपने ही लोगों के द्वारा इस आभूषण के छीने जाने की कोशिशों से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। हर मसजिद के नीचे शिवलिंग खोजने की क्या ज़रूरत और हमें झगड़ा क्यों करना?- सामान्य से दो सवालों के ज़रिए मोहन भागवत ने वह बात कह दी है जो आम हिन्दू परिवारों में चर्चा का विषय रहा है।
क्या मसजिद-शिवलिंग तकरार पर ब्रेक लगाना चाहते हैं भागवत?
- विचार
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- 4 Jun, 2022

क्या देश में बढ़ रही 'असहिष्णुता' से आरएसएस को अब दिक्कत महसूस होने लगी है? क्या हर मसजिद में विवाद ढूंढने से संघ प्रमुख मोहन भागवत को परेशानी हो रही है? जानिए उन्होंने क्यों कहा कि हर मसजिद के नीचे शिवलिंग खोजने की ज़रूरत नहीं।
ऐसा नहीं है कि मोहन भागवत के सवालों के जवाब में सारे सुर एक जैसे हों, लेकिन इन सवालों ने हिन्दू परिवारों में सहिष्णु बने रहने को लेकर एक लकीर ज़रूर खींच दी है। आज जो लोग मोहन भागवत के बयान का विरोध कर रहे हैं उनमें ज़्यादातर कट्टरता का आवरण ओढ़े हुए हिन्दू हैं। खुद मोहन भागवत भी अचरज में होंगे कि उनका कट्टर समर्थक रहा यह वर्ग उनकी ही मुखालिफत पर क्यों उतर आया है? उन्हें अहसास हो रहा होगा कि ग़लत रास्ते पर चलते हुए ऐसी स्थितियों का सामना करना ही पड़ता है जब अपने ही पराए हो जाते हैं।