राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा अपने गंतव्य की ओर एक नैरेटिव (कथानक) गढ़ते हुए आगे बढ़ रही है। भय और नफरत मिटाने के संकल्प के साथ राहुल गांधी महँगाई और बेरोजगारी जैसे बुनियादी मुद्दों पर जोर दे रहे हैं। यात्रा में विभिन्न पड़ावों पर अपने भाषण के जरिए राहुल गांधी एक सांस्कृतिक विमर्श भी खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। मजेदार बात यह है कि राहुल गाँधी भाजपा और संघ के सामने उसकी वैचारिक जमीन पर जाकर ताल ठोक रहे हैं। हिन्दू धर्म के मिथकों और प्रतीकों का विमर्श रचते हुए राहुल गांधी संघ को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। पहले महाराष्ट्र में उन्होंने हिंदुत्व के सिद्धांतकार वी. डी. सावरकर के अंग्रेजों के आगे घुटने टेकने को मजबूती से उठाया। लेकिन हिन्दी पट्टी में आकर उन्होंने हिंदुत्व की जमीन पर भाजपा-संघ की राजनीति का समानांतर विमर्श प्रस्तुत किया है।