हाथरस के पीड़ित दलित परिवार को शायद ही यक़ीन रहा हो कि उनकी बेबसी का बयान करती चिट्ठी के जवाब में राहुल गाँधी उसके आँगन में आँसू पोंछने पहुँच जाएँगे। लेकिन यह साफ़ है कि अपनी बेटी के बलात्कारियों और हत्यारों की आज़ादी और योगी आदित्यनाथ सरकार की इस मुद्दे पर पहले दिन से बरती गयी संवेदनहीनता से आहत इस परिवार को कहीं से उम्मीद थी तो वह राहुल गाँधी थे। यह राहुल गाँधी की राजनीति का सबसे बड़ा ‘हासिल’ है कि देश के हर कोने का वंचित-उत्पीड़ित समुदाय उन्हें उम्मीद भरी डबडबाई नज़र से देख रहा है। मणिपुर से लेकर हाथरस और वायनाड से लेकर संभल तक के हताश-निराश पीड़ितों को जब राहुल गाँधी गर्मजोशी से गले लगाते हैं तो उनके मन में जीने की नयी लौ जल जाती है।