किसी ने सोचा भी न था कि नए “राहुल गाँधी” या वह राहुल गाँधी जो “भारत पद-यात्रा” के बाद एक नए अवतार में हैं, भाजपा के मर्मस्थल पर इतना करारा प्रहार करेंगे जिसे नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे “योद्धा” भी झेल नहीं पायेंगे। चुनाव परिणाम और तज्जनित संसदीय केमिस्ट्री में बदलाव ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को ही नहीं स्पीकर को भी सकते में डाल दिया है। अब संसद में पिछली संसद जैसी सत्ता-पक्ष की मनमानी का जवाब उससे ज्यादा समेकित ऊँचे स्वर में विपक्ष दे रहा है।