किसी ने सोचा भी न था कि नए “राहुल गाँधी” या वह राहुल गाँधी जो “भारत पद-यात्रा” के बाद एक नए अवतार में हैं, भाजपा के मर्मस्थल पर इतना करारा प्रहार करेंगे जिसे नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे “योद्धा” भी झेल नहीं पायेंगे। चुनाव परिणाम और तज्जनित संसदीय केमिस्ट्री में बदलाव ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को ही नहीं स्पीकर को भी सकते में डाल दिया है। अब संसद में पिछली संसद जैसी सत्ता-पक्ष की मनमानी का जवाब उससे ज्यादा समेकित ऊँचे स्वर में विपक्ष दे रहा है।
विपक्ष को कमजोर समझने की ग़लती न करें, संसद इसका प्रमाण!
- विचार
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- 29 Mar, 2025

कुछ ही महीने पहले यही दोनों सदन थे, यही सभापति और स्पीकर थे जब कम संख्या में और बंटे विपक्ष को बिल पास करने के दौरान बाहर निकाल दिया जाता था। लेकिन अब भाजपा की डार-डार पर कांग्रेस का पात-पात!
एक सदन के सभापति तो “चेयर का अपमान किया जा रहा है” का आरोप लगा कर बाहर चले गए। कुछ ही महीने पहले यही दोनों सदन थे, यही सभापति और स्पीकर थे जब कम संख्या में और बंटे विपक्ष को बिल पास करने के दौरान बाहर निकाल दिया जाता था। सदन में बाएं हाथ से हिकारत के भाव में विपक्ष के सदस्यों को “चुप बैठ-ओओओ” की डांट अब पीठासीन अधिकारी देते भी हैं तो पचासों विपक्षी एमपी “पहले उनको चुप कराओ“ के काउंटर से उनकी निष्ठा पर प्रश्न-चिन्ह लगाते हैं। धीरे-धीरे विपक्ष को संसद में “स्पेस” मिलने लगा है।