आपने अक्सर देखा होगा कि बाप के लाड़-प्यार से आवारा हुए बेटे की जब शिकायत लेकर मोहल्ले वाले घर पहुंचते हैं तो बाप-बेटे को नहीं बेचारी माँ को डाँटता है। मोदी ने भी इस बजट में आवारा हुए कॉर्पोरेट बेटों के साथ कुछ ऐसा ही किया। भारत की इकॉनमी को लेकर पूरी दुनिया में चिंता है कि सरकार की नीतियाँ समाज में गरीबी-अमीरी की खाई उस हद तक बढ़ा चुकी है जहाँ से वापस समतामूलक समाज बनाना मुश्किल हो रहा है। और इस खाई को न पाटने से देश का जीडीपी तो बढ़ता रहेगा लेकिन मानव विकास सूचकांक पर देश वहीं का वहीं 130-135 वें स्थान पर झूलता रहेगा।