आपने अक्सर देखा होगा कि बाप के लाड़-प्यार से आवारा हुए बेटे की जब शिकायत लेकर मोहल्ले वाले घर पहुंचते हैं तो बाप-बेटे को नहीं बेचारी माँ को डाँटता है। मोदी ने भी इस बजट में आवारा हुए कॉर्पोरेट बेटों के साथ कुछ ऐसा ही किया। भारत की इकॉनमी को लेकर पूरी दुनिया में चिंता है कि सरकार की नीतियाँ समाज में गरीबी-अमीरी की खाई उस हद तक बढ़ा चुकी है जहाँ से वापस समतामूलक समाज बनाना मुश्किल हो रहा है। और इस खाई को न पाटने से देश का जीडीपी तो बढ़ता रहेगा लेकिन मानव विकास सूचकांक पर देश वहीं का वहीं 130-135 वें स्थान पर झूलता रहेगा।
लाड़-प्यार से आवारा कॉर्पोरेट पर मोदी मेहरबान!
- विचार
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- 24 Jul, 2024

यह सच है कि बजट 2024 में रोजगार को लेकर पहली बार सरकार संजीदा दिखी। शायद कारण है आम चुनाव के नकारात्मक परिणाम।
बजट के एक दिन पहले संसद में इकनोमिक सर्वे पेश हुआ। सर्वे वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार की सदारत में बनाया जाता है। यदाकदा “प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा” भाव का प्रदर्शन करते हुए, जो केंद्र की हर सरकारी संस्था की मजबूरी बन चुकी है, सर्वे ने कुछ कटु सच्चाइयों को छिपाया नहीं बल्कि सख्त लफ़्ज़ों में उजागर किया। यह जानते हुए भी कि कॉर्पोरेट पीएम मोदी का बिगड़ैल बेटा है, सर्वे ने प्रस्तावना से निष्कर्ष तक बढ़ती आर्थिक विषमता के पीछे कॉर्पोरेट दुनिया की सैयां भये कोतवाल के भाव में “लालच और बस लालच” को खूब उजागर किया।