हम तुम्हें देवता बना देंगे,पर, मनुष्य के अधिकार नहीं देंगे।

मेरी पहली प्रतिक्रिया उन तसवीरों को देखकर यही है, जिनमें प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी इलाहाबाद के कुम्भ में 5 सफ़ाई कर्मचारियों के पैर धो रहे रहे हैं। मेरा सवाल है कि मोदी जी ने 5 ही सफ़ाई कर्मियों के क्यों पैर धोए? अपनी पूरी कैबिनेट को वहाँ लेकर जाते, और वहाँ कार्यरत सभी सफ़ाई कर्मचारियों के पैर धुलवाते। हिन्दू संस्कृति में चरण पखारने के बाद चरणामृत का पान करने की भी प्रथा है। मोदी ने सफ़ाई कर्मचारियों के पैर धोने के बाद उस पानी को पिया क्यों नहीं? उन्होंने हिन्दू संस्कृति की इस मूल प्रथा को क्यों तोड़ दिया?