लोकतंत्र में सरकार वैचारिक द्वंद्व के समाधान से बनती है। पर अब ऐसा नहीं होता है। ज़्यादातर लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में व्यक्ति विशेष ही विचारों का प्रतिनिधित्व करता है और मतदाता उसके राजनीतिक दृष्टिकोण पर ध्यान नहीं देते हैं। लखनऊ से लुधियाना तक चुनाव वाले राज्यों में आकाश पोस्टरों और बैनरो से पटे पड़े हैं। इनमें प्रमुख रूप से राजनेता छाए हुए हैं जो अपनी राजनीतिक ख़ूबियाँ गिनाते हुए दिखते हैं, इनमें सबसे प्रमुख वे नेता हैं, जिनकी नज़र मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है।