सम्भवत: अयोध्या में हुए शिलान्यास का मनचाहा राजनैतिक प्रभाव नहीं दिखा या सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण को एक सीमा से ज्यादा न खींचने की बाध्यता हो या फिर बेरोक कोरोना, डरावनी बाढ़ और राजस्थान की धुनाई हो, इस सबके बीच अचानक सारे चैनलों और सरकार के मीडिया मैनेजरों को याद आ गया कि नरेन्द्र मोदी केन्द्र में सबसे ज्यादा लम्बी गैर कांग्रेसी सरकार चलाने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं और यह देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर हुआ।
स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर क्या कश्मीर पर भी होगी बात?
- विचार
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- अरविंद मोहन
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- 14 Aug, 2020


अरविंद मोहन
एक मामले में नरेन्द्र मोदी दूसरे प्रधानमंत्रियों से अलग और खास ही नहीं बल्कि आगे भी हैं, यह मामला है- दनादन फैसले लेने का, एक से एक बड़े और मुश्किल फैसले लेने का। जिस कश्मीर के मसले पर पिछले सत्तर साल से सरकारें कोई फैसला लेने से बचती थीं, कई-कई लड़ाईयां हो गईं, दुनिया में प्रचारित होने से मुश्किल आई, उसे मोदी सरकार ने सचमुच ताली पिटवाते हुए खत्म कर दिया।
सरकार का गुणगान
उत्सव प्रिय पीएम मोदी के लिए यह बात क्या किसी बड़े उत्सव से कम है। इसलिए, इस उपलब्धि और इसके पीछे ‘न भूतो न भविष्यति’ वाले नेता का गुणगान शुरू हो गया। फिर क्या-क्या और कितने महान फैसले लिए गए और मुल्क आज किस तरह पहले से सबसे अच्छी स्थिति में है, यह गिनवाने का खेल शुरू हो गया। इसमें राम मंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति, तीन तलाक का अंत से लेकर न जाने क्या-क्या फैसले गिनवाए गए।
अरविंद मोहन
अरविंद मोहन वरिष्ठ पत्रकार हैं और समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।