देश के आम नागरिकों को सूझ नहीं पड़ रही है कि कोरोना की नई लहर में अपनी स्वयं की रक्षा की कोशिशों के बीच वे प्रधानमंत्री के पंजाब दौरे के दौरान उनके सुरक्षा इंतज़ामों में हुई चूक को लेकर किस तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त करें! घटना निश्चित ही काफ़ी गम्भीर रही होगी क्योंकि प्रधानमंत्री का पंजाब के अफ़सरों को कथित तौर पर यह कहना कि : “अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक ज़िंदा लौट पाया”, काफ़ी मायने रखता है।
बठिंडा से उठा बवाल बवंडर नहीं बना!
- विचार
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- 9 Jan, 2022

सुरक्षा इंतज़ामों को लेकर प्रधानमंत्री के कथित तौर पर ‘आपा खोने’ को यही मानते हुए स्वीकार कर लिया जाना चाहिए कि मोदी इस समय दोहरे दबाव में हैं : एक तरफ़ उन्हें उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों में अपनी पार्टी की सरकारें बचानी है तो दूसरी तरफ़ कोरोना के ताज़ा प्रकोप से नागरिकों की जानें भी।
नरेंद्र मोदी को उनके गुजरात और दिल्ली के बीस साल के शासनकाल के दौरान इस तरह से ‘ऑन-द-स्पॉट’ नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए पहले कभी देखा या सुना नहीं गया। यह भी तय है कि इस तरह की किसी चूक की घटना की कल्पना बीजेपी के शासन वाले राज्य में क़तई नहीं की जा सकती है।