प्रधानमंत्री की राजस्थान,अलीगढ़ और गोवा की सभाओं के बाद साफ़ हो गया कि जीत के लिए अंतिम हथियार के रूप में हिंदू-मुस्लिम ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल ही अब चुनाव के बाक़ी चरणों में होने वाला है। मोदीजी ने इस विषय पर अपनी सभाओं में क्या और कितना आपत्तिजनक कहा, उसे यहाँ इसलिए दोहराने की ज़रूरत नहीं है कि उनका ‘गोदी मीडिया’ यह काम मुस्तैदी से कर रहा है।
चाहे जितनी कोशिश कर लें मोदीजी, मुस्लिम तैश में नहीं आने वाले!
- विचार
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- 24 Apr, 2024

दुनिया में तीसरे नंबर की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी पर प्रधानमंत्री जिस तरह से प्रहार कर रहे हैं क्या उसका विपरीत असर उन मतदाताओं पर भी नहीं पड़ रहा होगा जिनकी गिनती मोदी-समर्थकों में होती है?
प्रधानमंत्री के कहे को लेकर मुसलमान क़तई उत्तेजित या नाराज़ नहीं हैं। वे जानते हैं कि मोदी जी उन्हें तैश में लाकर उनकी मदद में उतरने के लिए ही यह सब कर रहे हैं। मुसलमानों की ठंडी प्रतिक्रिया को लेकर संघ में ऊपरी तौर पर कोई नाराज़गी नहीं है। भाजपा के भी कुछ इलाक़ों ने इस पर राहत की साँस ली है। पहले चरण के बाद और दूसरे चरण के मतदान-पूर्व रुझानों को लेकर जिस तरह की ख़बरें मुस्लिम बस्तियों में पहुँच रही हैं वह भी ठंडी प्रतिक्रिया का एक कारण हो सकता है।