हरिशंकर परसाई लिख गये हैं,
नेहरू के साये का पीछा छूटा नहीं, मनमोहन का साया भी पीछे पड़ा!
- विचार
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- 29 Dec, 2024

नेहरू की प्रेत का पीछा करते हुए मोदी ने 11 साल गुजार दिये और नेहरू-नेहरू की उनकी बड़बड़ाट को समर्थक समूह दोहराता रहा। लेकिन नये प्रेत का पीएम मोदी क्या करेंगे? प्रेत पीड़ित पीएम का इलाज किसके पास?
“दो तरह के नशे सबसे खास हैं। उच्चता का नशा और हीनता का नशा। दोनों बारी-बारी चढ़ते हैं।“
बहुत से लोगों को लगता है कि वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी पर उच्चता का नशा स्थायी रूप से चढ़ा हुआ है। ये नशा उन्हें विवश करता है कि वो दुनिया को बताये कि उनका जन्म जैविक तरीक़े से नहीं हुआ बल्कि उन्हें इस धरा पर ईश्वर द्वारा भेजा गया है।
परसाई की बात को थोड़ा अगर आगे बढ़ायें तो समझ में आता है कि हीनता और उच्चता की ग्रंथियाँ अलग-अलग नहीं होती हैं। सुपरियोरिटी कांप्लेक्स अथवा उच्चता की ग्रंथि कुछ और नहीं बल्कि इनफिरियोरिटी कांप्लेक्स का विस्तार मात्र है।
असल में मोदी ऐसी हीनता के शिकार हैं कि उन्हें पूरी दुनिया को ये बताना पड़ता है कि उनसे बड़ा कोई नहीं है। यही हीनता `35 साल तक भीख मांगकर खानेवाले’ मोदी को डिजिटिल कैमरे के आविष्कार से पहले उसका स्वामी बना देती है और `एंटायर पॉटिकल साइंस’ में एमए की डिग्री दिलवा देती है।
राकेश कायस्थ युवा व्यंग्यकार हैं। उनका व्यंग्य संग्रह 'कोस-कोस शब्दकोश' बहुत चर्चित रहा। वह 'प्रजातंत्र के पकौड़े' नाम से एक व्यंग्य उपन्यास भी लिख चुके हैं।