प्रधानमंत्री ने देशवासियों को जितना डराना संभव था, डरा दिया। यह भी कह दिया कि इससे बचने का एक ही तरीक़ा है कि घरों में बंद रहा जाए और इसके लिए लक्ष्मण रेखा का अच्छा उदाहरण दिया पर उसके अंदर रहने में सहायता का कोई आश्वासन नहीं दिया। यह तो बताया कि 21 दिन की अवधि लंबी है पर यह नहीं बताया कि इस दौरान जानी-अनजानी दूसरी मुसीबत से निपटने के लिए क्या करना है। उल्टे उन्होंने मीडिया से लेकर पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों का ख्याल रखने की भी ज़िम्मेदारी जनता पर ही डाल दी। यह ज़रूर कहा कि आवश्यक चीजों की कमी नहीं होने दी जाएगी पर जब उत्पादन हो ही नहीं रहा है, डिलीवरी होगी नहीं तो कमी कैसे नहीं होगी, यह नहीं बताया। इन सब कारणों से यह किसी प्रधानसेवक का संदेश कम, एक मजबूर और लाचार संदेशवाहक का संदेश ज़्यादा लगा।
कोरोना: प्रधानमंत्री जी, आपने बहुत निराश किया!
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- 29 Mar, 2025

प्रधानमंत्री ने देशवासियों को जितना डराना संभव था, डरा दिया। यह भी कह दिया कि इससे बचने का एक ही तरीक़ा है कि घरों में बंद रहा जाए और इसके लिए लक्ष्मण रेखा का अच्छा उदाहरण दिया पर उसके अंदर रहने में सहायता का कोई आश्वासन नहीं दिया।
जनता कर्फ्यू और थाली-ताली बजाने के आग्रह को पूरा करने के लिए धन्यवाद देने के साथ उन्होंने यह नहीं बताया कि पिछली बार की ही तरह देश के बाक़ी शहरों में भी (देश भर में) कंपलीट लॉकडाउन की सूचना अचानक दी गई है। उस सूचना के बाद अचानक ट्रेन बंद कर दी गई थी। उनकी सूचना के बाद विमान सेवाएँ बंद हो गईं। इसपर कोई शब्द नहीं, कोई सहानुभूति नहीं। जो लोग दूसरी जगहों पर फँस गए हैं उनके लिए कोई योजना नहीं, कोई सहायता नहीं है। कोरोना के अलावा जो दूसरे मरीज हैं उन्हें कैसे अस्पताल जाना हैं, दवाइयों की व्यवस्था कैसे करनी है। इसपर भी क़रीब पौने 29 मिनट के संदेश में कुछ नहीं था।
15,000 करोड़ रुपए संसाधनों के लिए आवंटित किए जाने की सूचना ज़रूर थी पर उससे तुरंत क्या लाभ मिलेगा, यह भी नहीं बताया गया। मुश्किल में पड़े लोगों की सहायता की जाएगी पर कौन करेंगे और अगर आप कुछ करना चाहें तो कैसे क्या करें इसपर भी संदेश में कुछ नहीं था। संक्षेप में यह नोटबंदी की घोषणा से अलग नहीं था।