प्रधानमंत्री ने देशवासियों को जितना डराना संभव था, डरा दिया। यह भी कह दिया कि इससे बचने का एक ही तरीक़ा है कि घरों में बंद रहा जाए और इसके लिए लक्ष्मण रेखा का अच्छा उदाहरण दिया पर उसके अंदर रहने में सहायता का कोई आश्वासन नहीं दिया। यह तो बताया कि 21 दिन की अवधि लंबी है पर यह नहीं बताया कि इस दौरान जानी-अनजानी दूसरी मुसीबत से निपटने के लिए क्या करना है। उल्टे उन्होंने मीडिया से लेकर पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों का ख्याल रखने की भी ज़िम्मेदारी जनता पर ही डाल दी। यह ज़रूर कहा कि आवश्यक चीजों की कमी नहीं होने दी जाएगी पर जब उत्पादन हो ही नहीं रहा है, डिलीवरी होगी नहीं तो कमी कैसे नहीं होगी, यह नहीं बताया। इन सब कारणों से यह किसी प्रधानसेवक का संदेश कम, एक मजबूर और लाचार संदेशवाहक का संदेश ज़्यादा लगा।