पहले प्रधानमंत्री और फिर वित्तमंत्री का भाषण सुना। दोनों भाषणों से आम जनता को जो उम्मीद थी, वह पूरी नहीं हुई। प्रधानमंत्री का भाषण सभी टीवी चैनलों पर रात को आठ बजे प्रसारित होगा, यह सूचना चैनलों पर इतनी बार दोहराई गई कि करोड़ों लोग बड़ी श्रद्धा और उत्सुकता से उसे सुनने बैठ गए लेकिन मुझे दर्जनों नेताओं ने फ़ोन किए, उनमें भाजपाई भी शामिल हैं कि प्रधानमंत्री का भाषण इतना उबाऊ और अप्रासंगिक था कि 20-25 मिनट बाद उन्होंने उसे बंद करके अपना भोजन करना ज़्यादा ठीक समझा लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि आख़िरी आठ-दस मिनटों में उन्होंने काफ़ी काम की बात कही। जैसे सरकार 20 लाख करोड़ रुपये लगाकर लोगों को राहत पहुँचाएगी।
‘प्रधानमंत्री का भाषण इतना उबाऊ था कि बंद कर भोजन करना ठीक समझा’
- विचार
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- 29 Mar, 2025

दुनिया के अन्य देशों की सरकारें अपनी जनता को राहत कैसे पहुँचा रही हैं, यदि इसका अध्ययन हमारे प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री सरसरी तौर पर भी कर लेते तो उन्हें कई महत्वपूर्ण गुर मिल जाते। हमें विश्व-गुरु बनने का तो बड़ा शौक है लेकिन हम अपने नौकरशाही दड़बे में ही कैद रहना चाहते हैं।